इस पट्टिक की धारा किसी एक नियंत्रक ग्रिड की वोल्टता पर निर्भर रहती है।
2.
पंचध्रुवी तथा चतुर्ध्रुवी में कभी-कभी नियंत्रक ग्रिड को एक विशेष अभिप्राय से एक समान नहीं बनाते।
3.
ये वे गैस द्विध्रुवी हैं जिनमें पट्टिक और ऋणाग्र के बीच एक नियंत्रक ग्रिड लगा दिया जाता है।
4.
ऐसी नलियों में दो नियंत्रक ग्रिड होते हैं और पट्टिक धारा का नियंत्रण दोनों ही वोल्टता के मेल से होता है।
5.
इस नियंत्रक ग्रिड का कार्य भी लगभग निर्वात नली के ग्रिडनियंत्रण सा ही है, परंतु एक बहुत बड़ी विभिन्नता दोनों के नियंत्रण में है।
6.
यदि इस प्रकार की नली में दो नियंत्रक ग्रिड हों और दोनों की ही वोल्टताएँ बदलती हों तो पट्टिक धारा का परिवर्तन दोनों ग्रिडों की वोल्टता के परिवर्तन के उभयनिष्ठ गुणनखंड के समानुपात में होता है।
7.
इसके अतिरिक्त बहुध्रुवी नलियों का उपयोग विशेषतया स्वत: चालित उद्घोषतानियंत्रण तथा उद्दघोषताप्रसारक (वॉल्यूम एक्सपैंडर) में किया जा रहा है जिसमें एक नियंत्रक ग्रिड में लगाई वोल्टता का नियंत्रण दूसरे नियंत्रक ग्रिड में लगाई गई वोल्टता के द्वारा होता है।
8.
इसके अतिरिक्त बहुध्रुवी नलियों का उपयोग विशेषतया स्वत: चालित उद्घोषतानियंत्रण तथा उद्दघोषताप्रसारक (वॉल्यूम एक्सपैंडर) में किया जा रहा है जिसमें एक नियंत्रक ग्रिड में लगाई वोल्टता का नियंत्रण दूसरे नियंत्रक ग्रिड में लगाई गई वोल्टता के द्वारा होता है।
9.
हेलिकल नियंत्रक ग्रिड तथा आवरण ग्रिड के तारत्व को समान रखा जाता है और उनके तारों को इस प्रकार लगाया जाता है कि उन इलक्ट्रानों को एक बेलनाकार सतह में एकत्र कर दें जो पट्टिक तथा आवरण ग्रिड के बीच में हों।